Webinar on Pollution caused by stubble burning
नीव – जो की आई आई टी के पुरातन छात्र छात्रओं द्वारा संचालित एक सामाजिक संस्था है और गरीबो, बेसहारा , झुगी झोपडी में रहने वाले बच्चो को शिक्षित करने का कार्य करती है | अपनी ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से 25 हजार से जदया देश विदेश के शिक्षाविदों , छात्र -छात्रओं इत्यादि को कोविद- 19 महामारी के दौरान जागरूक कर चुकी है व इसका यह कार्य निरंतर जारी है | जागरूक की इसी कड़ी में ” परली जलने से उत्पन्न प्रदुषण , रोकथाम व उसका उपयोग ” विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार I -STEM , जोकि प्रधान मंत्री के कार्यालय का एक इनिशिएटिव है के सहयोग से आयोजित किया गया जिसमें देश विदेश से करीब 1000 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया व इस कार्यक्रम का सजीव प्रसारण यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर और लिंकेडीन के द्वारा भी किया गया |कार्यक्रम का आरम्भ नीव संसथान के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ0 उपदेश वर्मा जी द्वारा किया गया | उन्होंने बताया की पिछले वर्ष जब दिल्ली में प्रदुषण खतरनाक रूप से बढ़ गया तो नीव संस्था व आई आई टी दिल्ली के एलुमनाई ने दिल्ली के चीफ मिनिस्टर से मुलाकात करके परली को जलने के बजाय उससे एग्रो बोर्ड बनाने का सुझाव दिया था, इन बोर्ड्स में दिमाग नहीं लगती और 70 साल से जयादा तक सही रहते है और परली जलने से जो प्रदुषण होता ह उससे भी निजात मिल जाएगी | उन्होंने नीव संस्था द्वारा कोविद के दौरान किये गए कार्यों जैसे गरीबो को भोजन प्रदान करना , मास्क बांटना, जागरूकता फैलाना के लिए वेबिनार करना , व गरीब झुग्गी व गाओं में रहने वाले बच्चो के लिए नीव-विद्या डिजिटल प्लेटफार्म को विकसित करना आदि प्रमुख थे |कार्यक्रम में मुख्या अतिथि प्रोफेसर वाई विमला जी ,प्रति कुलपति चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ रही , उन्होंने बताया की प्रदुषण केवल परली से उत्पन्न नहीं होता बल्कि रोज हम भोजन बनाने के लिए चूल्हा जलाते है व और लोकल कूड़ा जलने , फैक्ट्री की चिमनियों से , वाहनों की लगातार बढ़ती हुई संख्या से जो प्रदुषण होता ह वो पूरे वर्ष लगातार ही होता है | सरकार को और आम जनता को जयादा से जयादा पेड़ लगाकर इसकी रोकथाम करनी चाहिए |डॉ गीतांजलि जो की नीव संस्था की सचिव है उन्होंने बताया कि लगभग 178 मिलियन टन अधिशेष फसल अवशेष देश में उपलब्ध हैं। देश में चावल , गेहूं, गन्ना ,कपास, मक्का, सोयाबीन, सरसों के विभिन्न फसल फसल अवशेषों में अनुमानित 87 मीट्रिक टन फसलें जला दी जाती हैं। जले हुए कुल अवशेषों में से – चावल 40%, गेहूं 22%, और गन्ना 20% और कपास कुल जला हुआ 8%। दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता में इसका योगदान 25% से 30% के बीच अनुमानित है।डॉ संजीव कुमार श्रीवास्तव , जो कि प्रधान मंत्री कार्यालय द्वारा संचालित आई -स्टेम (I -STEM) ऑनलाइन पोर्टल के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर है उन्होंने बताय कि ISTEM प्लेटफ़ॉर्म को माननीय पीएम द्वारा विज्ञान कांग्रेस में जनवरी , 2020 के दौरान शुरू किया गया । परली जलने जैसे क्षेत्रीय मुद्दों के प्रति जागरूकता पैदा करने और जनता को इस क्षेत्र और प्रसिद्ध क्षेत्र के विशेषज्ञों की विशेषज्ञता का उपयोग करने की अनुमति देने के लिए ISTEM द्वारा उठाए गए विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तार से अवगत करवाया।डॉ अस के त्यागी जो के सेवानिवृत अपर निदेशक सेंट्रल पोल्लुशण कण्ट्रोल बोर्ड रहे है उन्होंने सिफारिश की कि हमें चावल की खेती को 50% कृषि भूमि तक सीमित करने की आवश्यकता है जो वर्तमान में 85-90% है, इससे पानी की मेज को और नीचे जाने से रोक दिया जाएगा। न्यूनतम स्टैक की ऊंचाई वर्तमान 30 मीटर से 50 मीटर होनी चाहिए। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि परली जलाने के मुद्दे से निपटने में एयर शेड प्रबंधन की प्राथमिकता होनी चाहिए।डॉ विक्रम सिंह , आई आई टी दिल्ली ने बतया कि परली जलना 3-4 सप्ताह की गतिविधि है। मई में गेहूं कि ठूठ को जलाया जाता है और सितंबर-नवंबर में धान कि ठूठ को जलाया जाता है (धान की पराली जलने पर अधिक मात्रा में प्रदुषण होता है )। पोटेशियम और लेवोग्लुकोस परली जलने के रासायनिक मार्कर हैं। गेहूं के ठूंठ का इस्तेमाल चारे के रूप में किया जाता है लेकिन धान (18-30% सिलिका सामग्री) का उपयोग नहीं किया जाता है। दिल्ली में पूरे साल उत्सर्जन होता है लेकिन सर्दियों के दौरान जयादा हो जाता है।डॉ0 एस के गोयल दिल्ली जोनल हेड, नीरी ने बताया कि 2017 के दौरान आग की 11200 घटनाएं हुईं, जो 2019 में 3000-4000 हो गईं। अधिकतम मामले करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र, फतेहाबाद और सिरसा में पहचाने गए। दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता में यह स्टब बर्निंग 25-30% योगदान देता है। 2017 में, हरियाणा में 5.8 मिलियन टन मल जल गया था, हालांकि यह गिरावट पर है। यह प्रभावी भंडारण है और संग्रह एक बड़ी चुनौती है। यदि 1 हेक्टेयर ज़मीन के लिए परली को 10 * 10 स्क्वायर मीटर दिया जाता है, तो 6-6.5 टन मल पूरी भूमि के 2-3% हिस्से पर कब्जा कर लेगा। फोकस सीमांत और छोटे किसानों पर होना चाहिए अगर उनके दरवाजे पर एक ब्रिकेट या गोली बनाने की मशीन स्थापित की जा सकती है तो ये समस्या दूर हो सकती है |
डॉ0 विजय अरोड़ा सीसीएस एचएयू करनाल ने प्रकाश डाला कि फसल अवशेष जलाने से पोषक तत्वों के संदर्भ में 14613 मिलियन रूपये खो जाते हैं। अवशेष जलने से केवल 8% जैविक खाद और लगभग 50% मूल जीवाणु आबादी मिट्टी में बच जाती है। उम्मीद है कि हम इस मुद्दे का प्रबंधन करने में सक्षम होंगे। सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट और जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल के साथ हैप्पी सीडर गेहूं की फसल बोना सबसे अच्छा है। श्री राजन वार्ष्णेय, डिप्टी जनरल मैनेजर NTPC व वाईस प्रेजिडेंट नीव ने बताया कि परली जलने के प्रमुख कारणों में 2009 का पंजाब प्रिजर्वेशन सबसॉइल वाटर एक्ट है, जो 10 जून से पहले किसानों को खेतों में चावल की रोपाई से रोकता है और कंबाइन हार्वेस्टर द्वारा कटाई करता है जो महत्वपूर्ण भूसे को छोड़ देता है। परली से एग्रो बोर्ड तकनीक बनाने के बारे में भी विस्तार से बताया | सुश्री पंखुड़ी गुप्ता, सीएम गुड गवर्नेंस एसोसिएट हरियाणा सुझाव दिया कि इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि परली एक संसाधन है, संसाधन दक्षता को बढ़ाया जाना चाहिए ताकि सभी हितधारकों को फायदा हो। पराली के भंडारण और खरीद के लिए शुरू की गई पराली नव निर्माण मिशन ने पूरी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने, मशीनों की डिलीवरी, अवशेषों की बिक्री, आग की लाइव ट्रैकिंग, दंडित करने के लिए पुलिस विभाग को स्थानांतरित करने की उम्मीद की। प्रो0 बीर पाल सिंह, चीफ प्रॉक्टर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय व नीव संसथान के उपाध्यक्ष व प्रोफेसर अनल कुमार मालिक ने भी आपने विचार किसानो के परिपेक्ष में व्यक्त किये | अधिवक्ता हरिदत्त वर्मा जी जो कि नीव संस्था के अध्यक्ष है यह जानकारी दी कि NEEV में हो रहे कार्यों के बारे में जेकरि दी और बताया की उन्होंने विद्या डिजिटल अप्प के साथ करार किया है जो की गरीब बच्चू और सरकारी स्कूल के बच्चो को निशुल्क शिक्षा अभियान के तहत मुफ्त में ऑनलाइन एजुकेशन उपलब्ध करायेगे | उन्होंने यह अभी बताया की उत्तराखंड सरकार के साथ नीव और विद्या का करार हुआ है जिससे उत्तराखंड के लगभग १० लाख छात्र छात्रओं को ऑनलाइन पढाई करने में सहायता मिलेगी | डॉ गीतांजलि कौशिक जी ने कार्यक्रम के अंत में सभी का धन्यवाद किया | इस अवसर पर नीव संस्था के जॉइंट सेक्रेटरी डा विजय तिवारी , दुर्गेश जी , प्रशांत जी, नम्रता जी , कौशल जी , ज्योत्स्ना जी , हरीश जी, अनिल जी , मनीष मिश्रा जी, डा सचिन जी, डॉ मनोज कुमार जी इत्यादि भी उपस्थित रहे व आपने विचार व्यक्त किये |
आदर सहित आपका
डॉ० उपदेश वर्मा
राष्ट्रीय समन्वयक नीव
7599182718